कतील साहब के इस ग़ज़ल को मेंहदी हसन साहब ने अपने आवाज़ की जिस खूबसूरती से नवाजा है, वो काबिले तारीफ़ है.
ज़िंदगी में तो सभी प्यार किया करते हैं
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा
तू मिला है तो ये एहसास हुआ है मुझको
ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है
इक ज़रा सा गम-ए-दौरां का भी हक है जिस पर
मैं ने वो सांस भी तेरे लिए रख छोडी है
तुझ पे हो जाऊँगा कुरबान तुझे चाहूँगा
अपने जज़्बात में नग्मात रचाने के लिए
मैं ने धड़कन की तरह दिल में बसाया है तुझे
मैं तसव्वुर भी जुदाई का भला कैसे करूं
मैं ने किस्मत की लकीरों से चुराया है तुझे
प्यार का बन के निगेहबान तुझे चाहूँगा
तेरी हर चाप से जलाते हैं ख्यालों में चिराग
जब भी तू आये जगाता हुआ जादू आये
तुझको छू लूँ तो फिर ऐ जान-ए-तमन्ना मुझको
देर तक अपने बदन से तेरी खुश्बू आये
तू बहारों का है उनवान तुझे चाहूँगा
-----: कतील शिफाई
ज़िंदगी में तो सभी प्यार किया करते हैं
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा
तू मिला है तो ये एहसास हुआ है मुझको
ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है
इक ज़रा सा गम-ए-दौरां का भी हक है जिस पर
मैं ने वो सांस भी तेरे लिए रख छोडी है
तुझ पे हो जाऊँगा कुरबान तुझे चाहूँगा
अपने जज़्बात में नग्मात रचाने के लिए
मैं ने धड़कन की तरह दिल में बसाया है तुझे
मैं तसव्वुर भी जुदाई का भला कैसे करूं
मैं ने किस्मत की लकीरों से चुराया है तुझे
प्यार का बन के निगेहबान तुझे चाहूँगा
तेरी हर चाप से जलाते हैं ख्यालों में चिराग
जब भी तू आये जगाता हुआ जादू आये
तुझको छू लूँ तो फिर ऐ जान-ए-तमन्ना मुझको
देर तक अपने बदन से तेरी खुश्बू आये
तू बहारों का है उनवान तुझे चाहूँगा
-----: कतील शिफाई
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