यों लगे दोस्त तेरा मुझसे खफा हो जाना
जिस तरह फूल से खुश्बू का जुदा हो जाना
अहल-ए-दिल से ये तेरा तर्क-ए-ताल्लुक
वक़्त से पहले असीरों का रिहा हो जाना
यों अगर हो तो जहां में कोई काफिर न रहे
मोअजुज़ा तेरे वादे का वफ़ा हो जाना
ज़िंदगी मैं भी चलूँगा तेरे पीछे-पीछे
तू मेरे दोस्त का नक्श-ए-काफ-ए-पा हो जाना
जाने वो कौन सी कैफियत-ए-गम ख्वारी है
मेरे पीते ही "क़तील" उस को नशा हो जाना
-----: कतील शिफाई
जिस तरह फूल से खुश्बू का जुदा हो जाना
अहल-ए-दिल से ये तेरा तर्क-ए-ताल्लुक
वक़्त से पहले असीरों का रिहा हो जाना
यों अगर हो तो जहां में कोई काफिर न रहे
मोअजुज़ा तेरे वादे का वफ़ा हो जाना
ज़िंदगी मैं भी चलूँगा तेरे पीछे-पीछे
तू मेरे दोस्त का नक्श-ए-काफ-ए-पा हो जाना
जाने वो कौन सी कैफियत-ए-गम ख्वारी है
मेरे पीते ही "क़तील" उस को नशा हो जाना
-----: कतील शिफाई
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