खातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया
झूठी क़सम से आप का इमान तो गया
दिल ले के मुफ्त कहते हैं कुछ काम का नहीं
उल्टी शिकायतें रहीं एहसान तो गया
अब शय-ए-राज़-ए-इश्क गो ज़िल्लतें हुई
लेकिन उसे जाता तो दिया, जान तो गया
देखा है बुतकदे में जो ऐ शेख कुछ ना कुछ
ईमान की तो ये है कि ईमान तो गया
डरता हूँ देख कर दिल-ए-बे-आरजू को मैं
सुन-सान घर ये क्यूँ ना हो मेहमान तो गया
गो नामाबर से खुश ना हुआ पर हज़ार शुक्र
मुझको वो मेरे नाम से पहचान तो गया
होश-ओ-हवास-ओ-तब-ओ-तवां "दाग" जा चुक
अब हम भी जाने वाले हैं सामान तो गया
-----: दाग देहलवी
झूठी क़सम से आप का इमान तो गया
दिल ले के मुफ्त कहते हैं कुछ काम का नहीं
उल्टी शिकायतें रहीं एहसान तो गया
अब शय-ए-राज़-ए-इश्क गो ज़िल्लतें हुई
लेकिन उसे जाता तो दिया, जान तो गया
देखा है बुतकदे में जो ऐ शेख कुछ ना कुछ
ईमान की तो ये है कि ईमान तो गया
डरता हूँ देख कर दिल-ए-बे-आरजू को मैं
सुन-सान घर ये क्यूँ ना हो मेहमान तो गया
गो नामाबर से खुश ना हुआ पर हज़ार शुक्र
मुझको वो मेरे नाम से पहचान तो गया
होश-ओ-हवास-ओ-तब-ओ-तवां "दाग" जा चुक
अब हम भी जाने वाले हैं सामान तो गया
-----: दाग देहलवी
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